1
Shayari / aab ke ek cheerag esa jala ya jaye...
« on: October 26, 2011, 09:43:28 AM »
अब के एक एसा चीराग जलाया जाये
जिस से अंदर का अंधेरा भगाया जाये
की हेर शय उज्जला दे
यूँ ज़िन्दगी का गुलशन रौशनी से महकाया जाये
भूला केर सभी गीले शिकवे
रकीबों को भी गले लगाया जाये
शायद काबुल हूँ जाये इबादत आपनी
किस्सी रोते हुये बच्चे को हसाया जाये
ये भी है मोहब्बत का आदाब
की याद याद कर कर के किस्सी को भुलाया जाये
आ गया है जो हमारे दर्न्मेयाँ
वो गफलत का पर्दा उठाया जाये
चमक उठेगी खुद बा खुद ज़िंदगी
तेरे मेरे का फरक बस मिटाया जाये
मगर ख्याल रहे रोशनी की भीरड में
eklovaya हम को न भुलाया जाये
happy diwali
जिस से अंदर का अंधेरा भगाया जाये
की हेर शय उज्जला दे
यूँ ज़िन्दगी का गुलशन रौशनी से महकाया जाये
भूला केर सभी गीले शिकवे
रकीबों को भी गले लगाया जाये
शायद काबुल हूँ जाये इबादत आपनी
किस्सी रोते हुये बच्चे को हसाया जाये
ये भी है मोहब्बत का आदाब
की याद याद कर कर के किस्सी को भुलाया जाये
आ गया है जो हमारे दर्न्मेयाँ
वो गफलत का पर्दा उठाया जाये
चमक उठेगी खुद बा खुद ज़िंदगी
तेरे मेरे का फरक बस मिटाया जाये
मगर ख्याल रहे रोशनी की भीरड में
eklovaya हम को न भुलाया जाये
happy diwali